Friday, April 15, 2011

आम आदमी को लड़नी होगी भ्रष्टाचार से सीधी लड़ाई


पिछली ५ अप्रैल से जो दिल्ली के जंतर-मंतर पर हुआ ,ऐसा लगता है की वो किसी मंत्र का प्रभाव सा ही है |हवा के छोटे से एक थपेड़े ने यकायक एक बड़े तूफ़ान का रूप ले लिया|ऐसा लिखकर में उन तमाम आंदोलनकारियों के सम्मान में कोई कमी नहीं कर रहा |वे सब और उनकी पूरी टीम बधाई की पात्र है जिनके कारण आजादी के बाद संभवतः पहली बार ऐसा लगा की इस जनतंत्र में जन अभी जीवित है |
देश भर में यह चर्चा का विषय है कि कैसे सरकार की आंख के सामने देखते –देखते एक चिंगारी ने शोले का रूप धर लिया और इसके पहले कि लोकतान्त्रिक भारत कि सत्ता वयवस्था इस की चपेट में आती सरकार ने समझदारी का परिचय देते हुए सब को सयंमित कर लिया | इस बहाव को कशमीर से कन्याकुमारी तक फेलाने का काम देश के मीडिया ने किया विशेष रूप से इलेक्ट्रोनिक मीडिया जिसने एक धारावाहिक के सामान इस का प्रसारण किया |
लोगो के इस अनशन से जुडने का सबसे बड़ा कारण यह था कि देश के हर आम आदमी को ऐसा लग रहा था कि यह तो उसकी ही आवाज है जो कई बरसो से दबाई जा रही थी|उसने यह स्पष्ट महसूस किया कि किसी ने उसके मन की बात को उठाकर राष्ट्रीय परिदृश्य पर रख दिया है|जब भ्रष्टाचार के बोझ से दबे आम आदमी को अपना वजन हलके होते दिखा तो वह भी अपने -अपने शहरों में इस कारवां के साथ लिया | जो निशचय ही अन्दोलान्कर्ताओं के लिये एक मजबूत मंच साबित हुआ |
इस पूरे घटना क्रम से देश में एक बार पुन राजनेताओं कि सही स्तिथि दिखी है| जब तमाम राजनेताओं को उस मंच से खदेड दिया गया| जनप्रतिनिधि निर्वाचित होना और सही मायनों में जनता का प्रतिनिधित्व करना दोनों में जमींन असमान का फर्क है |ऐसा लगा कि साठ वर्ष से अधिक का लोकतान्त्रिक ढांचा इस झटके से लड़खड़ा गया हो |आम जनता और सरकारों के बीच की खाई और गहरी हो गयी है |
भ्रष्टचार ,घोटालों ,आतंक ,बेरोजागरी ,हिंसा ,भुखमरी ,भाई –भतीजावाद से लड़ाई और रोटी पानी जैसी बुनियादी चीजों के लिए आज भी इस देश का आम आदमी संघर्षरत है |विकास के आंकड़ों की बड़ी –बड़ी तस्वीरें ,आम आदमी की इन भारी चुनौतियों के सामने बोनी और धुंधली नजर आती है |
अब सवाल यह कि इसे से आगे क्या ?क्योकि भ्रष्टाचार का भूत इतनी आसानी से उतरने वाला नही है |इस अर्थ यह भी नहीं है कि नाउम्मीद होकर हार मान ली जाये |प्रयास तो करने ही होंगे |जरूरी है उन कारणों की पड़ताल जो भ्रष्टाचार का आधार बन चुके है | इस पर प्रहार शीर्ष से ही करना होंगा और रावन के सामान बहुशीष वाले इस दानव के लिए हम सब को राम बनान होगा ,आचरण से नहीं तो कर्म से इस दिशा में शुरुआत की जा सकती है |
आजादी के बाद धीरे –धीरे राजतन्त्र समाप्त तो हुआ पर फिर इस लोकतंत्र ने नए राजा पैदा कर दिया जो कही नेता तो कही अफसरों के रूप में हमारे सामने है |ये दोनों दावा तो जनता के सेवक होने का करते है पर जनता से व्यवहार गुलामों सा करते है |हमें अपने हर छोटे –बड़े काम के लिए इनके सामने गिडगिडाना पड़ाता है या फिर रिश्वत देकर काम होता है |
हमसे वसूले गए टैक्स के पैसे से इन्हें आलिशान बंगले ,भारी वेतन-भत्ते ,बत्ती लगी बड़ी गाडिया ,घर के फर्नीचर से लेकर रेल और विमान के मुफ्त टिकट मिल रहें है|आम जनता की कमाई से ये सब जीते जी स्वर्ग में और आम आदमी नर्क सी जिंदगी जी रहा है अर्थात इतने सब के बाद भी यदि आम –आदमी कि जिंदगी में चैन होता तो वो तसल्ली कर लेता लेकिन आज ऐसा कुछ भी नहीं है | सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्यों जनता गरीब और नेता अमीर होते जा रहें है | ऐसा कौन सा चिराग है जो सिर्फ नेताओं के पास है जो उन्हें दिन दुनी रात चौगनी तरक्की दे रहा है और कोई अपराधी भी साबित नहीं हो रहा है |
यह एक कड़वा सच है कि आज हर आम और खास बुरी तरह से भ्रष्टाचार के दल दल में फंसा है और जितने हाथ –पांव निकलने के लिए मर रहा है उतना ही गहरा फंसता जा रहा है|अगर ऐसा कहा जाये की भ्रष्टाचार हमारे खून में मिल गया है तो गलत नहीं होगा |एक भ्रष्टाचार ही ऐसी चीज है जिसने देश में जांत-पांत और मजहब की दीवारों को तोड़ कर सब को अपने रंग में रंग लिया है |अब स्थितियां इतनी विषम हो चली है कि हमारी आत्मा भी हमें भ्रष्ट होने पर धिक्कारती नहीं है ,अपितु दिलासा देती है की हम क्या करें दुनिया ही ऎसी है |
जरुरत इस सोच को बदलने की है ,कही ना कही से तो शुरुआत करनी होगी रास्ता मुश्किल जरूर है पर असंभव नहीं |क्योकि अन्दोलन का माहौल खत्म हुआ और हम फिर से अपने रंग में रंग जायेंगे |अब तो भ्रष्टाचार तभी मिटेगा जब हम स्वयं के स्तर पर इस से संघर्ष करेंग

हमें अपने मन में रौशनी करनी होगी बाहर मोमबत्ती जलने भर से माहौल तो बनेगा लेकिन कुछ बदलेगा नहीं |व्यक्तिगत स्तर पर इसे लड़ने और इसे छोड़ने के मजबूत संकल्प लेने होंगे,नहीं तो इस भ्रष्ट तिसिल्म को तोडना कठिन होगा |चाहे कितने भी अनशन और अन्दोलन हो सब तूफ़ान के क्षणिक उन्माद के जैसे शोर करेंगे और शांत हो जायेंगे |आइये अपने आप से आज ही इसकी शुरुआत करें |

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