Monday, July 30, 2012


फर्जी हस्ताक्षर करने का मामला प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारीसिवनी ने एक अहम फैसले में दो भाई और एक बहन को ३-३ वर्ष की सजा सुनाई सिवनी। स्थानीय प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी केडी महार ने एक अहम फैसले में दो भाई और एक बहन को ३-३ वर्ष की सजा और एक-एक हजार रु अर्थदंड से दंडित किया है। थाना केवलारी के अपराध क्र ४०/९२ की धारा ४६७ भादवि के इस मामले में अभियोजन पक्ष ने बताया है कि दो बहनों और दो भाईयों के बीच इस परिवार की चल अचल सम्पत्ति का हक बनता है। दो भाईयों में गणेश प्रसाद और भक्तराज एवं एक बहन दमयंतीबाई ने मिलकर चौरई छिंदवा़ड़ा में पदस्थ उनकी बहन नारायणी बाई आर्य के फर्जी दस्तखत कर उन्होंने उनके हक का मकान और बाड़ी ०८.०३.९१ को १४ हजार में बेचकर उसके बयनामे में भी नारायणी के दस्तखत बना डाले थे। खसरा नं ७९२ के रकबा ००.०२ में स्थित इस सम्पत्ति पर चारों का बराबर का हक बनता था। आरोपियों ने सगी बहन के फर्जी दस्तखत बनाकर किए कृत्य की शिकायत केवलारी थाने में दर्ज हुई थी। जो न्यायालय सुपुर्द आने के बाद उभयपक्षीय दलीलों को सुनने के बाद विद्वान न्यायाधीश ने इस सजा से दंडित किया है। शासन की ओर से सहा. जिला अभियोजन अधिकारी, स्मृति लता बरकड़े की जिरह, आरोपियों को सजा दिलाने में सफल हुई है।

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