Sunday, July 29, 2012


सिवनी। सुप्रीम कोर्ट ने बाघों के संरक्षण के लिए टाईगर रिजर्व के कोर व बफर एरिया में पर्यटन पर प्रतिबंध लगाने के आदेश हाल ही में दिए हैं। इस आदेश के बाद देश विदेश में ख्याति प्राप्त इंदिरा गांधी पेंच नेशनल पार्क के माध्यम से रोजी रोटी का जुगाड़ करने वालों में हड़कंप व्याप्त है। करोड़ों की लागत से आलीशन रिसोर्ट हॉटल बनाने वालों के साथ ही पर्यटकों को पार्क के सौंदर्य के दर्शन कराने वाले गाइड और जिप्सी वाहन में सैर कराने वालों की दिल की धड़कन इस आदेश के बाद तेज हो गई हैं। इनका कहना है कि यदि पेंच में पर्यटक नहीं आएंगे तो उनकी आय का साधन ही बंद हो जाएगा। बारिश का मौसम शुरू होते ही एक जुलाई से पेंच पार्क के द्वार पर्यटकों के लिए बंद हो गए हैं। अक्टूबर माह में पेंच के गेट पर्यटकों के लिए पुनः खोले जाते हैं। यदि आने वाली २२ अगस्त की तारीख को भी सुप्रीम कोर्ट ने अपना यह आदेश नहीं बदला तो फिर पर्यटक अक्टूबर माह में भी पार्क का भ्रमण नहीं कर सकेंगे। पेंच नेशनल पार्क में प्रतिवर्ष ६० हजार से अधिक देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं। पेंच पार्क के अधिकारियों के अनुसार इन पर्यटकों से डेढ़ करोड़ से अधिक राजस्व की प्राप्ति होती है। पर्यटकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगने से इस राजस्व का नुकसान होगा। देश विदेश से आने वाले पर्यटकों के ठहरने की उत्तम व्यवस्था करने के लिए बड़े-बड़े व्यवसायियों ने यहां करोड़ों की लागत से रिसोर्ट और हॉटल बनाए हैं। ३० से अधिक महंगे रिसोर्ट पेंच में बनाए गए हैं। रिसोर्ट संचालकों को कोर्ट के आदेश के बाद यहां पर्यटकों का आना बंद होने से उन्हें भारी क्षति का सामना करना पड़ेगा। उनके महंगे होटल में ठहरने भी कोई नहीं आएगा। इसी तरह पेंच पार्क की सैर कराने वाले दो सौ से अधिक गाईड ओर ७० से अधिक जिप्सी चालकों की रोजी रोटी छिन जाएगी। जिप्सी चालकों ने बड़ी लागत से जिप्सी खरीदकर उसे रोजी रोटी का साधन बनाया था। पर्यटकों का आना बंद हो जाने से जिप्सी कोई काम की नहीं रहेगी। इसी प्रकार गाइड का कहना है कि उन्हें अब रोजी रोटी का तलाश में महाराष्ट्र पलायन करने को मजबूर होना पड़ेगा।

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