Sunday, December 22, 2013

कांग्रेस से AAP कार्यकर्त्ताओं को डर

आम आदमी पार्टी (आप) के जमीनी कार्यकर्त्ता चाहते हैं कि उनकी पार्टी दिल्ली में सरकार बनाए, लेकिन वे कांग्रेस से डरे हुए हैं। इन कार्यकर्त्ताओं को किसी नाम से या चेहरे से नहीं पहचाना जा सकता। हजारों की तादाद में ये वे लोग हैं जो आप की वह ताकत हैं जिनके दम पर पार्टी ने बहुत थोड़े ही दिनों में राष्ट्रीय राजधानी में जो कर दिखाया उसे राजनीतिक चमत्कार कहा जा सकता है। कांग्रेस के बाहरी समर्थन से सरकार बनाने का संकेत देने के बाद जमीनी स्तर पर काम करने वाले आप के कई स्वयंसेवक ‘सुविधानुसार समझौते’ को लेकर डरे हुए हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्वी दिल्ली में साइकिल रिक्शा पर प्रचार करने वाले और घरों में लगातार पर्चे बांटने वाले अरुण वर्मा ने कहा, ‘‘हम कांग्रेस पर भरोसा नहीं कर सकते, क्योंकि वह आप को भाजपा की बी टीम कहती आई है। इसकी जगह मैं अल्पमत की सरकार गठित कराना चाहूंगा।’’ लेकिन देश की सबसे बुजुर्ग पार्टी कांग्रेस को मटियामेट करने वाली और भाजपा के सत्ता रथ का पहिया थाम लेने वाली आप दिल्ली पर हुकूमत करने की तैयारी में जुट गई है। सोमवार को पार्टी अपना फैसला सुनाएगी। भाजपा के पीछे हटने के बाद कांग्रेस ने घोषणा की कि उसके आठ विधायक आप की सरकार को बाहर से बिना शर्त समर्थन देंगे। उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्नातक की पढ़ाई करने वाले अरुण वर्मा आप के हनुमान रोड कार्यालय में अगस्त 2013 से ही काम कर रहे हैं। वर्मा ने कहा, ‘‘यदि आप सभी चुनावी वादों को पूरा करने में समर्थ नहीं हो पाई और लोगों को बुनियादी जरूरतें मुहैया करा पाई तो मैं खुश होऊंगा।’’ उनका मानना है कि जब पार्टी अपने मुख्य एजेंडे की कुछ चीजों को लागू करने के लिए आगे बढ़ रही होगी तब कांग्रेस अपना हाथ खींच लेगी। अपने घोषणा पत्र में आप ने 700 लीटर पानी और बिजली दरों में 50 प्रतिशत कटौती का वादा किया है, जिसे आलोचकों ने असंभव करार दिया है।

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